ज़ख़्म देने की आदत नहीं हमको; हम तो आज भी वो एहसास रखते हैं; बदले बदले से तो आप हैं जनाब; जो हमारे अलावा सबको याद रखते हैं।

तेरे पास आने को जी चाहता है; फिर से दर्द सहने को जी चाहता है; आज़मा चुके हैं अब ज़माने को हम; बस तुझे आज़माने को जी चाहता है।

मैंने उस से बस इतना ही पूछा था कि; एक पल में किसी की जान कैसे निकल जाती है; उस ने चलते चलते अपना हाथ; मेरे हाथ से छुड़ा लिया......

उसको क्या सज़ा दूँ जिसने मोहब्बत में हमारा दिल तोड़ दिया; गुनाह तो हमने किया जो उसकी बातों को मोहब्बत का रंग दे दिया।

एक अजीब सा मंजर नज़र आता है; हर एक आंसू समंदर नज़र आता है; कहाँ रखूं मैं शीशे सा दिल अपना; हर किसी के हाथ में पत्थर नज़र आता है।

तरसते थे जो मिलने को हमसे कभी! आज वो क्यों मेरे साए से कतराते हैं! हम भी वही हैं दिल भी वही है! न जाने क्यों लोग बदल जाते हैं!

वक़्त बदलता है ज़िन्दगी के साथ; ज़िन्दगी बदलती है वक़्त के साथ; वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ; बस अपने बदल जाते हैं वक़्त के साथ।

फूलों को तो बहारों में आना ही था; खारों को क्यों संग में लाना था; जिसे चाहा हमने दिल से अपनाया; क्या उसी को हमसे दूर जाना था।

उन लोगों का क्या हुआ होगा; जिनको मेरी तरह ग़म ने मारा होगा; किनारे पर खड़े लोग क्या जाने; डूबने वाले ने किस-किस को पुकारा होगा।

एक सिलसिले की उम्मीद थी जिनसे; वही फ़ासले बनाते गये! हम तो पास आने की कोशिश में थे; ना जाने क्यूँ वो हमसे दूरियाँ बढ़ाते गये!

चांदनी रात बड़ी देर के बाद आयी; ये मुलाक़ात बड़ी देर के बाद आयी; आज आये हैं वो मिलने को बड़ी देर के बाद; आज की रात बड़ी देर के बाद आयी।

खामोश थे हम तो मगरूर समझ लिया; चुप हैं हम तो मजबूर समझ लिया; यही आप की खुशनसीबी है कि हम इतने क़रीब हैं; फिर भी आप ने दूर समझ लिया!

जाने क्यों अकेले रहने को मज़बूर हो गए; यादों के साये भी हमसे दूर हो गए; हो गए तन्हा इस महफ़िल में; कि हमारे अपने भी हमसे दूर हो गए।

मुझे देखने से पहले साफ़ कर​; अपनी आँखों की पुतलियाँ ग़ालिब​; कहीं ढक ना दे मेरी अच्छाइयों को भी​; नज़रों की ये गन्दगी तेरी​।

समझा न कोई हमारे दिल की बात को; दर्द दुनिया ने बिना सोचे ही दे दिया; जो सह गए हर दर्द को हम चुपके से; तो हमको ही पत्थर दिल कह दिया।