जिंदगी ज़ख्मों से भरी है वक़्त को मरहम बनाना सीख लो; हारना तो मौत के सामने है फिलहाल जिंदगी से जीतना सीख लो।
जिंदगी ज़ख्मों से भरी है वक़्त को मरहम बनाना सीख लो; हारना तो मौत के सामने है फिलहाल जिंदगी से जीतना सीख लो।
अगर हम अस्सी साल की उम्र में पैदा हों और धीरे-धीरे अठारह साल की उम्र तक पहुंचे तो जीवन में असीम ख़ुशी होगी।
खुशियाँ बटोरते बटोरते उम्र गुजर गई पर खुश ना हो सके एक दिन एहसास हुआ खुश तो वो लोग थे जो खुशियाँ बांट रहे थे!
मानवता कभी उतनी सुन्दर नहीं होती जितना की जब वो क्षमा के लिए प्रार्थना करती है या जब किसी को क्षमा करती है।
मेरी इबादतों को ऐसे कबूल कर ऐ मेरे खुदा; कि सजदे में मैं झुकूं और मुझसे जुड़े हर रिश्ते की ज़िन्दगी संवर जाये!
आदर्श अनुशासन मर्यादा परिश्रम ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान नहीं बनसकता है।
ज़िंदगी ने पुछा सपना क्या होता है? तो हक़ीक़त बोली बंद आँखों में जो अपना होता है खुली आँखों में वही सपना होता है।
चरित्र का निर्माण तब नहीं शुरू होता जब बच्चा पैदा होता है ये बच्चे के पैदा होने के सौ साल पहले से शुरू हो जाता है।
मत कर तलाश मंजिलों की; खुदा खुद ही मंजिल दिखा देता है; यूं तो मरता नहीं कोई किसी के बिना; वक्त सबको जीना सिखा देता है।
चेहरे की हंसी से हर गम चुराओ; बहुत कुछ बोलो पर कुछ ना छुपाओ; खुद ना रूठो कभी पर सबको मनाओ; राज़ है ये जिंदगी का बस जीते चले जाओ।
जो जीना चाहते हैं उन्हें लड़ने दो और जो अनंत संघर्ष वाली इस दुनिया में नहीं लड़ना चाहते हैं उन्हें जीने का अधिकार नहीं है।
हजारों झोपड़िया जलकर राख होती हैं; तब जाकर एक महल बनता है! आशिको के मरने पर कफ़न भी नहीं मिलता; हसीनाओं के मरने पर ताज महल बनता है!
वो वक्त वो लम्हे अजीब होंगे दुनियाँ में हम खुश नशीब होंगे
दूर से जब इतना याद करते हैं आपको क्या हाल होगा जब आप हमारे करीब होगे
तेरे ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ; ज़िंदगी तेरी चाहत में सवार लूँ; मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह; तमाम उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़र लूँ।
क्या है यह ज़िंदगी: देखो तो ख्वाब है ये ज़िंदगी; पढ़ो तो किताब है ये ज़िंदगी; सुनो तो ज्ञान है ये ज़िंदगी; हँसते रहो तो आसान है ये ज़िंदगी।